भारत के युवा सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल किसी तारुफ़ के मोहताज नहीं है। आज दुनिया उनकी क़ाबलियत को पहचानती है। वो अपनी मेहनत और क़ाबलियत के दम इस मुकाम पर पहुंचे हैं। शुभमन गिल भारतीय क्रिकेट में उभरता हुआ सितारा हैं। अपने 21 मैच के छोटे से वनडे करियर में ही 3 शतक और 1 दोहरा शतक लगाकर शुभमन गिल ने साबित कर दिया है कि, भारतीय क्रिकेट सुरक्षित हाथों में है। शुभमन गिल की सफलता के पीछे उनका सालों का संघर्ष और मेहनत है।

शुभमन गिल की इस कामयाबी के पीछे उनके पिता और परिवार का बहुत बड़ा त्याग रहा है। खासकर उनके पिता ने खेतों पर उनके लिए पीच बनाई। बेटे के लिए घर तक छोड़ा, उसके साथ साये की तरह हमेशा खड़े रहे। तब जाकर शुभमन गिल ने पहले अंडर 19 विश्व कप जिताया। फिर IPL से लेकर भारत के लिए खेलते हुए शतक जड़ रहे हैं। अब वो एकदिवसीय प्रारूप में दोहरा शतक लगाने वाले बल्लेबाजों की सूची में भी आ गए हैं।

शुभमन गिल के दमदार बल्लेबाज बनने से पहले कहानी बड़ी रोचक है। आज हर कोई उनकी कहानी जानना चाहता है। शुभमन गिल के मुताबिक, उनका परिवार खेती पर निर्भर था, लेकिन सारे खेत गांव में थे और उनकी प्रैक्टिस चंडीगढ़ में ही मुमकिन हो पाती थी। शुभमन गिल की प्रैक्टिस को कोई नुकसान न हो उनके पापा ने बड़ा फैसला किया और चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए I शुभमन के मुताबिक, इससे खेती पर असर पड़ा। उनके पिता चंडीगढ़ से खेती करने गांव जाते थे।

शुभमन गिल बताते हैं कि उनके खेल में उनके पिता ने बहुत योगदान दिया है। उनके पापा बॉलर्स को चैलेंज देते थे कि जो शुभमन गिल को आउट करेगा, उसे 100 रुपये इनाम मिलेगा। उनके पिता बताते हैं कि इनाम पाने के लिए गांव के कई लड़के इकट्ठा हो जाते। शुरू के पांच-छह महीने मेरे पैसे खर्च हुए। फिर ऐसा समय आया कि शुभमन को जल्दी कोई आउट ही नहीं कर पाता था। शुभमन गिल को आगे चल के युवराज सिंह का भी सपोर्ट मिला।

उनके पिता के मुताबिक शुभमन दिन भर उस बल्ले से खेलते था और तो और रात को भी बैट को अपने बिस्तर पर तकिया के नीचे रखकर सोता था। नन्हें शुभमन के लिए पिता ने आंगन में क्रिकेट का नेट लगवा दिया और खुद ही गेंदें फेंककर बैटिंग की प्रैक्टिस करानी शुरू कर दी। लखविंदर सिंह के मुताबिक—शुभमन में बचपन से ही गेंदबाज पर हावी होकर खेलने की आदत रही है। उस समय भी वह पिच पर आगे निकलकर ड्राइव शॉट लगाता था और अपने से बड़ी उम्र के बच्चों के साथ क्रिकेट खेला करता था।

शुभमन के पिता अपने बेटे में क्रिकेट की इस दीवानगी को देखकर उसे प्रोफेशनल क्रिकेट कोचिंग दिलाने को सोचने लगे. इस निश्चय को पूरा करने के लिए गिल परिवार ने मोहाली, पंजाब में बसने का निर्णय लिया। मोहाली में PCA स्टेडियम के पास उन्होंने एक किराये का मकान लिया और शुभमन की क्रिकेट कोचिंग शुरू हो गयी। शुभमन गिल ने पूरे जोश और पैशन से क्रिकेट सीखना शुरू किया और कुछ वर्षों में ही इसके नतीजे दिखने लगे

शुमभन गिल ने 2016-17 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पंजाब के लिए खेलते हुए अपना खाता खोला। फरवरी 2017 में विजय हजारे ट्राफी और नवम्बर 2017 में रणजी ट्राफी मैच से शुभमन ने प्रोफेशनल क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा। अंडर-16 टीम में विजय मर्चेंट ट्राफी के लिए खेलते हुए शुभमन ने नाबाद डबल सेंचुरी लगाकर शुरुआत की। विगत दो वर्षों से BCCI की तरफ से शुभमन गिल को बेस्ट जूनियर क्रिकेटर घोषित किया गया है।

अंडर-19 टीम में खेलते हुए शुभमन ने इंग्लैंड के खिलाफ वन डे मैच में 147 रन बनाये। इस मैच सीरीज में शुभमन गिल मैन ऑफ़ द सीरीज पुरस्कार पाया। भारत को अंडर-19 वर्ल्ड कप 2018 में विजेता बना कर इन्होने सुर्खियां बटोरी। इसके बाद आईपीएल से होता हुआ उनके करियर का सफर टीम इंडिया तक पहुंचा। न्यूजीलैंड के खिलाफ 2019 में गिल ने इंटरनेशल क्रिकेट में डेब्यू किया था। इसके बाद टेस्ट क्रिकेट में उनका डेब्यू ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न के मैदान पर दिसंबर 2022 में हुआ। गिल ने लगातार अपने खेल से प्रभावित किया।

कुछ मैच उनके लिए खराब भी गुजरे, लेकिन टीम मैनजमेंट उनके पीछे खड़ा रहा, जिसका नजीता दोहरे शतक रूप में नजर आया है। शुभमन अपने बेहतरीन क्रिकेटिंग शॉट और शानदार बल्लेबाज़ी कला के कारण बहुत कम समय में भारतीय क्रिकेट में काफी लोकप्रिय खिलाडी हो चुके है। गिल वनडे इंटरनेशनल में दोहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के आठवें और कुल पांचवें भारतीय बल्लेबाज रहे। इस यादगार पारी के लिए गिल को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

शुभमन गिल ने हैदराबाद में अपने बल्ले की ऐसी धमक दिखाई कि दुनिया उनके सजदे में झुक गई। शुभमन गिल के बल्ले से 208 रन निकले, जिसमें उन्होंने 149 गेंदों में 208 रन बनाए। गिल ने अपनी बेमिसाल पारी में 19 चौके और 9 छक्के लगाए। इस खिलाड़ी का स्ट्राइक रेट 139.60 रहा। अब पिछले दो मैचों में गिल ने शतक और दोहरा शतक ठोक दिया है। साफ है गिल ने साबित कर दिया है कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं और इस खिलाड़ी को रोक पाना अब मुश्किल है।

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