Rinku Singh Biography: मोदी स्टेडियम में कोलकाता नाइट राइडर्स ने गुजरात टाइटंस को तीन विकेट से हरा दिया। 205 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए कोलकाता के बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया और रिंकू सिंह (Rinku Singh) ने आखिरी ओवर में पांच छक्के लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई। इस मैच में गुजरात के कप्तान राशिद खान ने हैट्रिक भी ली, लेकिन कोलकाता को 205 रन का विशाल लक्ष्य हासिल करने से नहीं रोक सके।
Rinku Singh ने रचा इतिहास

कोलकाता नाइट राइडर्स और गुजरात टाइटंस की टीम के बीच अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम एक ऐसे मुकाबले का साक्षी बन गया जो T20 क्रिकेट के इतिहास का सबसे बेहतरीन और सबसे करिश्माई मुकाबला भी साबित हुआ। क्योंकि इस एक ही मुकाबले में राशिद खान की तरफ से हैट्रिक देखने मिली तो वही अलीगढ़ के रहने वाले बाएं हाथ के युवा बल्लेबाज रिंकू सिंह के बल्ले से वो देखने मिला जो इससे पहले टी-20 क्रिकेट के इतिहास में नहीं हुआ था।
कैसा रहा रिंकू सिंह के बचपन का समय

रिंकू सिंह ने जो किया वह आईपीएल के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। कल रिंकू सिंह केकेआर के लिए सुपरस्टार खिलाड़ी बन गए हैं, लेकिन उनका शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा है। हम आपको बताते हैं रिंकू सिंह और उनके परिवार में कौन-कौन है और तरह संघर्ष करके वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर के रिंकू बेहद ही साधारण परिवार से आते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कठिन समय देखा है।

आपको जानकर हैरानी होगी अलीगढ़ का यह लड़का (Rinku Singh) नौवीं कक्षा में फेल हो चुका है। क्रिकेट में यहां तक पहुंचने की उनकी कहनी बेहद दिलचस्प है। उन्हें पोछा लगाने तक की नौकरी मिली, फिर उन्होंने क्रिकेट को ही अपना जुनून बना लिया। रिंकू पढ़ाई में कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। रिंकू के अनुसार पिता क्रिकेट खेलने के लिए मारते भी थे, लेकिन जब उन्होंने बाइक जीती तो पिता ने मारना बंद कर दिया। उसी बाइक से उनके पिता सिलेंडर डिलीवरी के लिए जाने लगे।

रिंकू सिंह (Rinku Singh) के चार और भाई हैं। कोई ऑटो चलाता था तो कोई कहीं मजदूरी करता था। फिर धीरे-धीरे समय बीतता गया और रिंकू भी समझदार होते गए। उन्हें भी घर का गुजारा करना था तो काम तलाशने लगे। वह एक कोचिंग सेंटर में पोछा लगाते थे। क्रिकेट के लिए जुनून उनके मन में बचपन से था। अचानक रिंकू ने नौकरी छोड़ी और क्रिकेट की तरफ बढ़ने का मन बना लिया। उन्हें एहसास हो गया था कि क्रिकेट ही उनके परिवार के दुखों को दूर करेगा।

मोहम्मद ज़ीशान से मिली मदद और मार्गदर्शन ने रिंकू सिंह के जीवन में अहम भूमिका निभाई। फिर रिंकू की घरेलू क्रिकेट में एंट्री हुई। 16 साल की आयु में रिंकू सिंह ने 5 मार्च 2014 को यूपी के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में खेलना शुरू किया उन्होंने अपने पहले ही मैच में 87 गेंदों में 83 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद 31 मार्च 2014 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अपना T20 डेब्यू करते हुए विदर्भ के खिलाफ उन्होंने 5 गेंदों पर नाबाद 24 रन बनाकर क्रिकेट जगत में अपनी छाप छोड़ी।

इसके बाद उन्होंने लगातार कड़ी मेहनत के दम पर यूपी की टीम में जगह बनाई। वहीं 2018 में वह मुंबई इंडियंस ट्रायल में शामिल हुए थे। ट्रायल मैच में रिंकू ने धमाकेदार पारी खेली। इसके बाद जब ऑक्शन हुआ तो रिंकू पर मुंबई ने बोली लगाई लेकिन केकेआर की टीम ने अधिक बोली लगाकर उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया। इसके बाद से वह लगातार इसी फ्रेंचाइजी के साथ है। साल 2022 की नीलामी में रिंकू सिंह को 55 लाख की रकम देकर कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम ने वापस रिंकू सिंह को अपनी टीम में जोड़ लिया था।

अब यह सितारा इस कदर चमका है कि उनकी चमक के आगे राशिद खान की हैट्रिक भी फीकी पड़ गई। इसलिए इस सितारे को आज क्रिकेट जगत का हर फैन दिल से बधाईयां दे रहा है और उनकी जिंदगी के इस सफर को जानकर और दुआएं उनके लिए हर किसी के जहन से निकल रही हैं। वहीं रिंकू सिंह (Rinku Singh) ने कल के मैच में जो छक्के लगाए, उसे उन्होंने उनके लिए संघर्ष करने वाले लोगों को समर्पित किया।
रिंकू सिंह ने क्या कहा

वहीं जब उनसे पूछा गया कि आखिरी ओवर में क्या सोच रहे थे, तो उन्होंने कहा,”सोचा नहीं था कि पांच छक्के मार दूंगा। एक भरोसा था बस। बॉल मिले और लगते चले गए। और हम जीत भी गए।” वहीं रिंकू ने इस मैच में जो छक्के लगाए, उसे उन्होंने उनके लिए संघर्ष करने वाले लोगों को समर्पित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता ने बहुत संघर्ष किया, मैं एक किसान परिवार से आता हूं। हर गेंद जो मैंने मैदान से बाहर मारी वह उन लोगों को समर्पित थी जिन्होंने मेरे लिए इतना बलिदान दिया।”
Also Read: रिंकू सिंह के 5 छक्कों को देखकर खुशी से झूम उठे श्रेयस अय्यर, कमरे में उछल उछल कर मनाया जश्न।